Wednesday 14 November 2012

मयारू उत्तराखंड



कख छ मयारू उत्तराखंड 
कख गढ़ों  कु देश ।
गद्न्य्नो सुखीगे पाणी 
कख हिंसर किन्गोड़ धाणी ।
पुन्ग्डियो माँ आग लेगे 
भटकंदी  रेगे पराणी ।
लाल लाल फूल बुरांस 
लेणु घुटी घुटी सांस ।
बरखा की भी बूँद नि छ 
कनके बौड़ली आस ।
जंगलु का छिन बुरा हाल 
कुर्सी माँ बैठ्या दलाल ।
प्रजा भूखी प्यासी रेगे 
अधिकारी पर मालामाल ।
सब सफा सुनपट हुइगे 
आम आदमी देखदी रेगे ।
मायूसी लाचारी कु रास्ता 
जिंदगी हम तैं बतैगे ।
हरी भरी धरती न कनके 
बदली अपडू एनु भेष ।
कख छ मयारू उत्तराखंड
कख गढ़ों  कु देश ।
नेता जी देणा आवाज 
मी तैं जीतावा  आज ।
विश्वास अर धैर्य धरा 
नि छों चकडीत बाज । 
मी यूँ जंगलु बचौलो 
एक नयु कानून ल्योलू ।
रोज देखा नई सरकार 
रोज होणु छ परचार ।
पुंगड्यों माँ कुछ नि होंदु 
पर नेताओं की पैदावार ।
रोज बणदी नई बात 
ढाक का  बस तीन पात ।
देखणी जनता बिचारी 
कनी मायूसी अर लाचारी ।
 न अपणी सी न बिराणी 
सारी  योजना काणी ।
दुनिया माँ उत्तराखंड कु 
कनु होलू सन्देश 
कख छ मयारू उत्तराखंड
कख गढ़ों  कु देश ।

(भगवान  सिंह रावत )

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