जाग उत्तराखंडी वीर जाग जाग और जगा
विपत्ति मै पहाड़ है विजय ध्वजा उठा उठा
रंगों का उत्सव नहीं ये तो रक्त फाग है
प्रेम की बंसी पे छिड़ा मौत का ये राग है
शत्रु तेरे सामने तुणीर ओ तरकश उठा .....जाग उत्तराखंडी वीर
अमन ओ चैन हो यहाँ तू भेद भाव तोड़ दे
सब को सब समझ सकें तू दिलों को जोड़ दे
नफरतों की आँधियों मै प्यार के दीपक जला ....जाग उत्तराखंडी वीर
सपूत है धरा तू धरा के गीत गाये जा
जान की बाजी लगे तो हंस के तू लगाये जा
पुजारी हैं हम प्रेम के सबको तू बता बता
जाग उत्तराखंडी वीर जाग जाग और जगा
विपत्ति मै पहाड़ है विजय ध्वजा उठा उठा.
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