Tuesday 13 November 2012

उत्तराखंडी वीर


जाग उत्तराखंडी वीर  जाग जाग और जगा 
विपत्ति मै पहाड़ है विजय ध्वजा उठा उठा 
रंगों का उत्सव नहीं ये तो रक्त फाग है 
प्रेम की बंसी पे छिड़ा मौत का ये राग है 
शत्रु  तेरे सामने तुणीर ओ तरकश उठा .....जाग उत्तराखंडी वीर
अमन ओ चैन हो यहाँ तू भेद भाव तोड़ दे 
सब को सब समझ सकें तू दिलों को जोड़ दे 
नफरतों की आँधियों मै प्यार के दीपक जला ....जाग उत्तराखंडी वीर
सपूत है धरा तू धरा के गीत गाये जा 
जान की बाजी लगे तो हंस के तू लगाये जा 
पुजारी हैं हम प्रेम के सबको  तू बता बता  
जाग उत्तराखंडी वीर  जाग जाग और जगा 
विपत्ति मै पहाड़ है विजय ध्वजा उठा उठा.

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