कख छ मयारू उत्तराखंड
कख गढ़ों कु देश ।
कख हिंसर किन्गोड़ धाणी ।
पुन्ग्डियो माँ आग लेगे
भटकंदी रेगे पराणी ।
लाल लाल फूल बुरांस
लेणु घुटी घुटी सांस ।
बरखा की भी बूँद नि छ
कनके बौड़ली आस ।
जंगलु का छिन बुरा हाल
कुर्सी माँ बैठ्या दलाल ।
प्रजा भूखी प्यासी रेगे
अधिकारी पर मालामाल ।
सब सफा सुनपट हुइगे
आम आदमी देखदी रेगे ।
मायूसी लाचारी कु रास्ता
जिंदगी हम तैं बतैगे ।
हरी भरी धरती न कनके
बदली अपडू एनु भेष ।
कख छ मयारू उत्तराखंड
कख गढ़ों कु देश ।
नेता जी देणा आवाज
मी तैं जीतावा आज ।
विश्वास अर धैर्य धरा
नि छों चकडीत बाज ।
मी यूँ जंगलु बचौलो
एक नयु कानून ल्योलू ।
रोज देखा नई सरकार
रोज होणु छ परचार ।
पुंगड्यों माँ कुछ नि होंदु
पर नेताओं की पैदावार ।
रोज बणदी नई बात
ढाक का बस तीन पात ।
देखणी जनता बिचारी
कनी मायूसी अर लाचारी ।
न अपणी सी न बिराणी
सारी योजना काणी ।
दुनिया माँ उत्तराखंड कु
कनु होलू सन्देश
कख छ मयारू उत्तराखंड
कख गढ़ों कु देश ।
(भगवान सिंह रावत )